(संपूर्ण ) Dyaneshwari Di Marathi ( BhavarthDeepika )
advertisement
Nama | Dnyaneshwari | ज्ञानेश्वरी |
---|---|
Versi | 1.1 |
Memperbarui | Mei 25, 2023 |
Ukuran | 8 MB |
Kategori | Sosial |
Instal | 50K+ |
Developer | Bapusaheb Shinde |
Android OS | Android 4.4+ |
Google Play ID | com.bkapps.dnyaneshwari |
Dnyaneshwari | ज्ञानेश्वरी · Deskripsi
ज्ञानेश्वरी | Dyaneshwari dalam Marathi ditulis oleh santa dan penyair Marathi Dyaneshwar
माझा मराठाचि बोलू कौतुके।
परि अमृतातेहि पैजासी जिंके।
ऐसी अक्षरे रसिके। मेळवीन ।।
The Dnyaneshwari | ज्ञानेश्वरी (Jñānēśvarī), juga disebut sebagai Jnanesvari, Jnaneshwari atau Bhavartha Deepika | भावार्थदीपिका adalah komentar tentang Bhagavad Gita yang ditulis oleh santa Marathi dan penyair Dnyaneshwar pada 1290 Masehi.
Dnyaneshwari memberikan dasar filosofis untuk Bhagawata Dharma, sebuah sekte bhakti yang memiliki efek abadi pada sejarah Maharashtra. Itu menjadi salah satu buku suci bersama dengan Eknathi Bhagawata dan Tukaram Gaathaa.
Isi Dnyaneshwari mencerminkan pengetahuan terperinci tentang kundalini, metafisika, dan astrologi. Komentar itu mementingkan Tuhan sebagai energi.
Dnyaneshwar memperluas Shri Bhagavad Gita, yang terdiri dari 750 shlokas, menjadi sekitar 9999 ayat Marathi (ovis | ओवी).
शा.श. १२१२, अर्थात इ.स. १२ ९ ०, नेवासे या गावातील मंदिरात एक खांबाला टेकून भगवद्गीतेवर ज्ञानेश्वरांनी जे भाष्य केले त्यालाीा श व श श श श श
सर्वसामान्यांसाठी असणारा गीतेवरील ज्ञानेश्वरांचा हा भावार्थाने परिपूर्ण ग्रंथ; मराठीतील सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ आहे. कर्मयोग, ज्ञानयोग व भक्तियोग सांगणाऱ्या ज्ञानेश्वरीत सुमारे ९ ००० ओव्या आहेत
Aplikasi Berisi:
● अध्याय पहिला - अर्जुन विषादयोगः
◆ अध्याय दुसरा - सांख्ययोगः
● अध्याय तीसरा - कर्मयोगः
◆ अध्याय चौथा - ज्ञाकर्मसंन्यासयोगः
● अध्याय पाचवा - संन्यासयोगः
◆ अध्याय सहावा - ध्यानयोगः
● अध्याय सातवा - ज्ञनविज्ञानयोगः
◆ अध्याय आठवा - अक्षरब्रह्मयोगः
● अध्याय नववा - राजविद्याराजगुह्ययोगः
◆ अध्याय दहावा - विभूतियोगः
● अध्याय अकरावा - विश्वरूपदर्शनयोगः
◆ अध्याय बारावा - भक्तियोगः
● अध्याय तेरावा - क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोगः
◆ अध्याय चौदावा - गुणत्रयविभागयोगः
● अध्याय पंधरावा - पुरुषोत्तमयोगः
◆ अध्याय सोळावा - दैवासुरसंपत्तिविभागयोगः
● अध्याय सतरावा - श्रद्धात्रयविभागयोगः
◆ अध्याय अठरावा - मोक्षसंज्ञासयोगः
● पसायदान
● ज्ञानेश्वरांची आरती
माझा मराठाचि बोलू कौतुके।
परि अमृतातेहि पैजासी जिंके।
ऐसी अक्षरे रसिके। मेळवीन ।।
The Dnyaneshwari | ज्ञानेश्वरी (Jñānēśvarī), juga disebut sebagai Jnanesvari, Jnaneshwari atau Bhavartha Deepika | भावार्थदीपिका adalah komentar tentang Bhagavad Gita yang ditulis oleh santa Marathi dan penyair Dnyaneshwar pada 1290 Masehi.
Dnyaneshwari memberikan dasar filosofis untuk Bhagawata Dharma, sebuah sekte bhakti yang memiliki efek abadi pada sejarah Maharashtra. Itu menjadi salah satu buku suci bersama dengan Eknathi Bhagawata dan Tukaram Gaathaa.
Isi Dnyaneshwari mencerminkan pengetahuan terperinci tentang kundalini, metafisika, dan astrologi. Komentar itu mementingkan Tuhan sebagai energi.
Dnyaneshwar memperluas Shri Bhagavad Gita, yang terdiri dari 750 shlokas, menjadi sekitar 9999 ayat Marathi (ovis | ओवी).
शा.श. १२१२, अर्थात इ.स. १२ ९ ०, नेवासे या गावातील मंदिरात एक खांबाला टेकून भगवद्गीतेवर ज्ञानेश्वरांनी जे भाष्य केले त्यालाीा श व श श श श श
सर्वसामान्यांसाठी असणारा गीतेवरील ज्ञानेश्वरांचा हा भावार्थाने परिपूर्ण ग्रंथ; मराठीतील सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ आहे. कर्मयोग, ज्ञानयोग व भक्तियोग सांगणाऱ्या ज्ञानेश्वरीत सुमारे ९ ००० ओव्या आहेत
Aplikasi Berisi:
● अध्याय पहिला - अर्जुन विषादयोगः
◆ अध्याय दुसरा - सांख्ययोगः
● अध्याय तीसरा - कर्मयोगः
◆ अध्याय चौथा - ज्ञाकर्मसंन्यासयोगः
● अध्याय पाचवा - संन्यासयोगः
◆ अध्याय सहावा - ध्यानयोगः
● अध्याय सातवा - ज्ञनविज्ञानयोगः
◆ अध्याय आठवा - अक्षरब्रह्मयोगः
● अध्याय नववा - राजविद्याराजगुह्ययोगः
◆ अध्याय दहावा - विभूतियोगः
● अध्याय अकरावा - विश्वरूपदर्शनयोगः
◆ अध्याय बारावा - भक्तियोगः
● अध्याय तेरावा - क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोगः
◆ अध्याय चौदावा - गुणत्रयविभागयोगः
● अध्याय पंधरावा - पुरुषोत्तमयोगः
◆ अध्याय सोळावा - दैवासुरसंपत्तिविभागयोगः
● अध्याय सतरावा - श्रद्धात्रयविभागयोगः
◆ अध्याय अठरावा - मोक्षसंज्ञासयोगः
● पसायदान
● ज्ञानेश्वरांची आरती