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अमीर खुसरो

- Poems
1.3

vasta raccolta di poesie dell'aamir khushro

Nome अमीर खुसरो
Versione 1.3
Aggiornare 31 mar 2025
Dimensioni 9 MB
Categoria Social
Installazioni 1Mille+
Sviluppatore PDTanks Tech
Android OS Android 5.0+
Google Play ID com.ptanktechnology.amir_khusro_poems
अमीर खुसरो · Istantanee

अमीर खुसरो · Descrizione

Abul Hasan Yamin-ud-Din Khusro (1253-1325) popolarmente noto come Amir Khusro è stato un musicista, studioso e poeta indiano. Era un mistico sufi e discepolo spirituale di Nizamuddin Auliya di Delhi. Scrisse poesie in persiano e hindavi. È considerato il "padre del qawwali". Ha arricchito la musica classica indostana introducendovi elementi persiani e arabi. Fu il creatore degli stili di musica khayal e Tarana. Ha anche inventato tabla.

Khusrow è considerato il "padre del qawwali" e ha introdotto lo stile ghazal della canzone in India, entrambi ancora ampiamente diffusi in India e Pakistan. Khusrow era un esperto in molti stili di poesia persiana che furono sviluppati nella Persia medievale, dai qasidas di Khāqānī al khamsa di Nizami.

मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253ईस्वी में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के तुर्क चंगेज खाँ के आक्रमणों से पीड़ित होकर बलबन के राज्यकाल में ‘’शरणार्थी के रूप में भारत में आ बसे थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी। सात वर्ष की अवस्था में खुसरो के पिता का देहान्त हो गया। किशोरावस्था में उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ किया और २० वर्ष के होते होते वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गए। खुसरो में व्यवहारिक बुद्धि की कोई कमी नहीं थी। सामाजिक जीवन की खुसरो ने कभी अवहेलना नहीं की।.

खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे। साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है io उन्होंने भारतीय और ईरानी रागों का सुन्दर मिश्रण किया और एक नवीन राग शैली इमान, जिल्फ़, साजगरी आदि को जन्म दिया io भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है .

इनका वास्तविक नाम था - अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद। अमीर खुसरो को बचपन से ही कविता करने का शौक़ था। इनकी काव्य प्रतिभा की चकाचौंध में, इनका बचपन का नाम अबुल हसन बिल्कुल ही विस्मृत हो कर रह गया। अमीर खुसरो दहलवी ने धार्मिक संकीर्णता और राजनीतिक छल कपट की उथल-पुथल से भरे माहौल में रहकर हिन्दू-मुस्लिम एवं राष्ट्रीय एकता, प्रेम, सौहादर्य, मानवतावाद और सांस्कृतिक समन्वय के लिए पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम किया। प्रसिद्ध इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपने ऐतिहासिक ग्रंथ 'तारीखे-फिरोज शाही' में स्पष्ट रुप से लिखा है कि बादशाह जलालुद्दीन फ़ीरोज़ खिलजी ने अमीर खुसरो की एक चुलबुली फ़ारसी कविता से प्रसन्न होकर उन्हें 'अमीर' का ख़िताब दिया था.

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