Surah Maun APP
जो लोग इस सूरह को सुनते हैं उनके गुनाह माफ़ हो जाते हैं। यदि फज्र की नमाज के बाद सौ बार पाठ किया जाता है, तो अगले दिन की फज्र के समय तक कोई सुरक्षित रहता है। इमाम जाफ़र अस-सादिक (a.s.) ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन चौदह बार सूरह अल-मौआ का पाठ करता है, तो वह और उसका परिवार अपनी जीविका के लिए दूसरों पर निर्भर रहने से मुक्त रहेंगे। (यह अनुशंसा की जाती है कि सलावत को पहले और अंतिम दस बार के बाद भी सुनाया जाए)