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म.प्र. सिंधु भवन ट्रस्ट के प्रयासों से 7 सितम्बर 1982 को शासन ने एक आदेश जारी कर म.प्र. सिंधी साहित्य अकादमी का गठन हुआ तथा 11 अगस्त 1988 को राज्य सरकार ने प्रदेश में निवासरत सिंधियों की समस्याओं के निराकरण हेतु उच्च स्तरीय सिंधी कल्याण समिति का गठन किया, जिसका 25 अप्रैल 2003 को पुनः पुनर्गठन किया गया, जिसमें ट्रस्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिंधी कल्याण समिति ने सम्पूर्ण मध्यप्रदेश का भ्रमण कर लोगों की सामाजिक समस्याओं एवं लंबित प्रकरणों, जिनमें मुख्यतः गुमटियों एवं भूमि व मकानों के पट्टों से संबंधित प्रकरण शामिल थे, की जानकारी एकत्रित की तथा प्रत्येक जिले में पहुंचकर लगभग 50 प्रतिशत समस्याओं का समाधान तत्काल कराया। मध्यप्रदेश की शेष समस्याओं के समाधान के लिए सरकार की ओर से प्रयास जारी हैं। सिंधी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के विकास के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गठित भाषाई अल्पसंख्यक उच्च स्तरीय समिति में सिंधी समाज को प्रतिनिधित्व दिलवाया, जिसने मध्यप्रदेश का भ्रमण कर सिंधी भाषा के विद्यालयों में सिंधी विषय के शिक्षकों की नियुक्ति करवाई तथा सिंधी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने में सरकार की ओर से प्रयास किए। सिंधी भाषा के विकास के लिए भारत सरकार ने 1994 में स्वतंत्र सिंधी विकास बोर्ड का गठन किया, जिसके अध्यक्ष केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वर्गीय मंत्री कुंवर अर्जुन सिंह जी थे। उक्त विकास बोर्ड में मध्यप्रदेश सिंधु भवन ट्रस्ट के दो ट्रस्टी सदस्य थे। बाद में इसी विकास बोर्ड का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद के रूप में किया गया, जिसमें ट्रस्ट के दो सम्मानित ट्रस्टी भी सदस्य थे तथा इसकी गतिविधियों में उनकी प्रमुख हिस्सेदारी थी।